Shailja Gupta

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आखरी पड़ाव......लेखनी प्रतियोगिता -15-Dec-2021


आखरी पड़ाव.......


  आज सोच का सागर गहराया हुआ था,,, यह कैसी घुटन है,,,, जो भीतर ही भीतर सताने लगी है मुझे,,,,, मन चीख रहा है ,,,,,और समुद्र  का कोलाहल,,,,,, बाहर और भीतर आत्ममंथन........ पर आज सब कुछ बिखर सा गया है.....

                  आंसुओं का सैलाब थम ही नहीं रहा.... मेरे साथ धोखा हुआ..... बहुत बड़ा धोखा और अब मैं ,,,,,,,कुछ नहीं कर सकती हूं..... ऐसे ही जीना होगा मुझे....

     कितनी खुश थी मैं  ,,,, एक निश्छल, चंचल सी लड़की,,, आज हाथों में मेहंदी लगाए दुल्हन बन कर आई थी इस घर में,,,, पूरा घर  असंख्य  सितारों सा सुंदर झालरों और फूलों से सजा हुआ था......
मेरे स्वागत में....
        इतना अच्छा लड़का मिला था उच्च पद पर आसीन गौर वर्ण सुंदर सजीला नौजवान  ...... ""देवेश""..... उसका तो दिल ही काबू में नहीं रहता था....
कहते नहीं थकता था,,, तुमने तो मेरी नींद चुरा ली है सुजाता......
       "" तू ही मेरी खुदा तू ही मेरी बंदगी"""

        जीवन को जैसे पंख लग गए ,,,,प्यार खुशियां सब कुछ मिल गया था मुझे....

          फिर हमारी दो प्यारी संताने भी आ गई,,, मैं गृहस्ती में रम गई थी और तुम अपने काम में। अब तो तुम्हें पैसे कमाने का जुनून सवार हो गया था। फिर अक्सर तुम ऑफिस की तरफ से विदेश कंपनी ट्रिप और मीटिंग्स में जाने लगे ।पहले तो टूर 15 दिन का हुआ करता था,,,, फिर वह बढ़कर  महीनों का होने लगा था । तुम कहते...... काम बहुत बढ़ गया है....…

कहते..….....

           सुजाता....... तुम तो जीनियस हो ,,,,,सब मैनेज कर लेती हो,,,,,,, तारीफों के पुल बांध देते ,,,,,और मैं सुधडता से अपनी सास- ससुर और दोनों बच्चों की परवरिश में लीन हो गई ।

        समय आगे बढ़ रहा था ,,,सास-ससुर परलोक सिधार गए।
          तुमने अंतिम क्रिया कर्म किया और अपने कार्यों में फिर से जुट गए,,,,,,, शिखा साहिल बड़े हो चुके थे। अपनी शिक्षा और दोस्तों में व्यस्त रहने लगे थे।पर,, ,,,,अब मुझे तुम्हारी दूरी खलने लगी थी,,,,, अकेलापन सताने लगना था .....

     एक दिन मैंने तुमसे  कहा था.....
इतना भी क्या पैसे के पीछे भागना..... सब कुछ तो है हमारे पास....
तुम कहने लगे ...…अभी तो शिखा और साहिल को उच्च शिक्षा दिलानी है और ब्याह करना है।

फिर   साहिल विदेश में सेटल हो गया और वहीं  की  लड़की से शादी कर ली।

आज शिखा का विवाह  था ..
            सारा इंतजाम तुमने एक फोन से कर दिया ,,,,,पैसे हो तो सब कुछ चुटकियों में हो जाता है,,,,, और कहते रहे..... अगली फ्लाइट से आ रहा हूं .....और फिर जिस फ्लाइट से आने वाले थे........ तुम्हारा फोन आया की वह फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई ....और तुम नहीं आ पाए ,,,,

शिखा,,,,,,, बिना पिता के आशीर्वाद के ही विदा हो गई।
एक सप्ताह बाद तुम लौटे,,,,, और खुद ही बता दिया ....... वहां.... तुम्हारी दूसरी पत्नी है,,,,  शिखा के ब्याह के वक्त उसका एक्सीडेंट हो गया था... इसलिए नहीं आ पाया...

उससे एक दो बच्चे भी हैं.... तुम्हारे
           """"" देवेश के अक्सर विदेश जाने और महीनों में लौटने """"का कारण आज सुजाता को समझ आया था।

           """"जिंदगी के इस पड़ाव पर.... तुमने मुझे धोखा दिया""
          मै चीख रही थी... पर वह चीख घुटन भरी थी,,,,,, एक ऐसा दर्द ,,,,,जो अब कभी नहीं भर सकता था,,,,,

           साहिल और शिखा अपनी गृहस्थी में रम गये थे .......बच्चे अब कर भी क्या सकते थे.... दोनों अपने पैरों पर खड़े थे ।

और...
..........
....आज देवेश ने कह दिया अब वह नहीं लौटेगा।।

          मैं अब नितांत अकेली रह गई थी अपने आंसुओं के साथ इस बड़े से घर में।।
,,,,,,,,,,,,,,,

आज मैं बाजार से लौट रही थी..
अम्मा कुछ खाने को दे दो.... मेरा भाई बहुत भूखा है .......और बीमार भी,,,,,,,, नौ साल की छोटी लड़की ने कहा....
....... तो मैंने देखा ,,,,,,,वह लगभग तीन साल का लड़का तप रहा था.. बुखार से...

मां-बाप कहां है तुम्हारे.......
          नहीं है......
मै उनको डॉक्टर के पास ले गई ,,,और फिर,,,, घर ले आई । उन्हें भोजन कराया।
""""मन ही मन एक निश्चय कर लिया और आत्म विश्वास के साथ अपने घर के एक हिस्से में... """""सुजाता  अनाथालय ""'''''''खोल लिया।

आज वह उनके साथ खिल खिला रही थी।।

जीवन के आखिरी पड़ाव में .....


शैलजा

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

#लेखनी कहानी प्रतियोगिता

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10 Comments

Dipanshi singh

16-Dec-2021 05:04 PM

बहुत ही अच्छी कहानी

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Shrishti pandey

16-Dec-2021 03:08 PM

Bahut hi sundar

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Rohan Nanda

16-Dec-2021 10:21 AM

काफी अच्छी कहानी है। लगता है इस मंच पर आना सार्थक हो रहा है।

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